आग
इस आग से
नहीं पक सकती एक भी रोटी
इस आग मे जले आलुओं से
नही बुझ सकती किसी होरी की आग
नही काटी जा सकती इस आग मे
धुंधलाई सर्दियों की एक भी शाम
इस आग के चतुर्दिक
न शोकगीत गाये जा सकते हैं
न किये जा सकते हैं उल्लास के नृत्य
कोई सभ्यता नही बस सकती
इसके इर्दगिर्द हज़ार वर्षों मे भी
इस आग में झुलसे जंगलो में
फ़िर कभी नही उगती कोई कोंपल
किसी फूल सा नही होता इसका रंग
नही देखा जा सकता इसकी रोशनी में कोई दृश्य
दृश्यों को सोख जाती है यह आग!
सपनों में भी
सूर्य जितना दूर ही देखना चाहता हूँ
बीस करोड़ डिग्री सेल्सिअस की यह आग !!
नहीं पक सकती एक भी रोटी
इस आग मे जले आलुओं से
नही बुझ सकती किसी होरी की आग
नही काटी जा सकती इस आग मे
धुंधलाई सर्दियों की एक भी शाम
इस आग के चतुर्दिक
न शोकगीत गाये जा सकते हैं
न किये जा सकते हैं उल्लास के नृत्य
कोई सभ्यता नही बस सकती
इसके इर्दगिर्द हज़ार वर्षों मे भी
इस आग में झुलसे जंगलो में
फ़िर कभी नही उगती कोई कोंपल
किसी फूल सा नही होता इसका रंग
नही देखा जा सकता इसकी रोशनी में कोई दृश्य
दृश्यों को सोख जाती है यह आग!
सपनों में भी
सूर्य जितना दूर ही देखना चाहता हूँ
बीस करोड़ डिग्री सेल्सिअस की यह आग !!
टिप्पणियाँ
सपनों में भी
सूर्य जितना दूर ही देखना चाहता हूँ
बीस करोड़ डिग्री सेल्सिअस की यह आग !!
main to sapano me bbi nahin dekhana chahata is tarah ki aag.
bachana chahata hoon antriksh ki chhoti se choti jagah bhi is aag se.
bahut badhiya hai bhai.
badhai.
नहीं पक सकती एक भी रोटी
इस आग मे जले आलुओं से
नही बुझ सकती किसी होरी की आग
नही काटी जा सकती इस आग मे
धुंधलाई सर्दियों की एक भी शाम
bahut achchhi kavita hai.aap ase hi likhte rhiye.
कौन सकेगा भाग
इससे बचकर
छिपकर, बिना झुलसे
उलझ कर ही गिरेगा।
सूर्य जितना दूर ही देखना चाहता हूँ
बीस करोड़ डिग्री सेल्सिअस की यह आग !!
!!!!!!!!!!