सोती हुई बिटिया को देखकर


(मित्रों के आदेश पर लगा दी बिटिया की तस्वीर। नाम है वेरा और संगीत की दीवानी)


अभी-अभी
हुलसकर सोई हैं
इन साँसों में स्वरलहरियां



अभी-अभी
इन होठों में खिली है
एक ताज़ा कविता




अभी-अभी
उगा है इन आंखों में
नीला चाँद



अभी-अभी
मिला है
मेरी उम्मीदों को
एक मज़बूत दरख़्त

टिप्पणियाँ

varsha ने कहा…
abhi abhi chua ek taja hawa ne aakar
admin ने कहा…
जीवन के बीज बोती है आपकी कविता।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुंदर कविता। उम्मीद कायम रहे।
डॉ .अनुराग ने कहा…
खूबसूरत...नन्ही का फोटो भी लगाना था .....
neera ने कहा…
एक और खूबसूरत अभिव्यक्ति! आखों में ज्योत की तरह!
Unknown ने कहा…
बहुत प्यारी कविता।
अनिल कान्त ने कहा…
bahut bahut pyari kavita
waah
RAJNISH PARIHAR ने कहा…
bahut achhee abhivyakti....
Bhawna Kukreti ने कहा…
apni bitiya ki koi tasveer bhi to lagaiye , vaise abhi abhi dua nikli hai dil se, nanhi bitiya jaage purvaai banke :)
Rachna Singh ने कहा…
kavita aur sheershak dono mae koi bhi taal mail nahin haen par kavita apne aap mae bahut sunder haen
विवेक ने कहा…
उम्मीदों का दरख्त...सशक्त...दिल छू लेने वाली कविता
Smart Indian ने कहा…
बहुत सुंदर कविता.
bisani ने कहा…
"vera" sabd ke arth..uss kahaanee ka patr,bitiyaa ..alok strivastvaa ,aapki abhivyakti..kraanti..sabko ek sutr mein bandhte hue ..dekhtaa hun..

khubsurat..!
बोधिसत्व ने कहा…
मन को छूनेवाला कहन....आहा..
Rangnath Singh ने कहा…
मार्मिक कविता है। वेरा का अर्थ क्या होता है। इसी नाम से मिलती जुलती रसूल हम्जातोव (संभवतः)की कविता याद आ रही है।
Ashok Kumar pandey ने कहा…
रंगनाथ जी
वेरा का अर्थ प्यार और सहानूभूति है।
इस नाम कि किताब तो नहीं पर वेरा निकोलाई चेर्निशेव्यस्की की किताब स्तो जिलायेत(क्या करें) की नायिका है।
Rangnath Singh ने कहा…
फैज ने हम्जातोव की उस कविता के अनुवाद किया था, जिसका शिर्षक था, वेरा/वीरा के लिए...
बोल थे,
उसने कहा आओ
उसने कहा ठहरो
मुस्काओ कहा उसने
मर जाओ कहा उसने
मैं आया,मैं ठहरा
मुस्काया और
मर भी गया
Rangnath Singh ने कहा…
apke mail par maine mail bhejne ki kosis ki thi. kisi takniki vajah se mail nhi ja rha h. kripya aap ek mail mere id rangnathsingh@gmail.com par bhej de. isase aap ka mail id mere pas aa jayega aur batchit me sahuliyat ho jayegi
Ashok Kumar pandey ने कहा…
वाह
मैने इस कविता को नहीं पढा था।
आपने इसे बताकर बहुत अच्छा किया।
धन्यवाद
के सी ने कहा…
बहुत क्यूट है
वाह!! बेहतरीन..
गौतम राजऋषि ने कहा…
एक बेहद ही प्यारी कविता....वेरा जैसी ही।

वेरा के लिये समस्त शुभकामनाओं सहित
vijay kumar sappatti ने कहा…
maine us din kaha tha aapko ki aapki is kavita ko maine poore ghar me padhkar sunayi thi aur specially meri beti ko .... use bahut accha lagha..

ashok ji , is kavita ke liye main aapko "neg " doonga , jab bhi aapse milunga , ye mera waada raha aapse....

ab aur kuch nahi kahunga ...

itni sahj likha hai aapne ki main kya kahun ..

just salaam aapki lekhni ko ..
sandhyagupta ने कहा…
Jitni pyari bitiya hai utni hi pyari kavita bhi.
Sushil Kumar ने कहा…
आशा की डोर से बँधी इस कविता के लिये अशोक जी बधाई और बेटी को बहुत-बहुत हमारा प्यार।
प्रदीप कांत ने कहा…
अभी-अभी
मिला है
मेरी उम्मीदों को
एक मज़बूत दरख़्त

कविता के लिये बधाई और बेटी को प्यार।

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