हमारे समय में

(यह कविता कोई सात साल पहले लिखी गयी थी और उस समय अक्षर पर्व में प्रकाशित भी हुई थी। पता नहीं क्यूआज इसे पोस्ट करने का जी हुआ)






हमारे समय में
शेर
खतरनाक से दयनीय में
तब्दील हो चुका है
और मनुष्यों की सारी चिंता
जानवरों के इर्द गिर्द सिमट गयी है।

हमारे समय में
अराजनीतिक होना
महान राजनीतिग्य होने की
सबसे ज़रूरी शर्त है
और गरीबी हटाने का
सर्वमान्य तरीका
सबसे रईसों को और रईस बनाना है

हमारे समय में कविता
बंद कमरे में सिसकती औरत है
और बंधी मुट्ठी
सस्ती राजनीति

यानी
यह बिलकुल सही समय है
सबकुछ उलट-पुलट देने का

टिप्पणियाँ

Vinay ने कहा…
सत्य से ओत-प्रोत कविता!
---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
सही कह रहे हैं अशोक
यह कविता सात साल पहले की है
अब तो प्रतिमान बदल चुके हैं
कविता बंद कमरे में सिसकती औरत नहीं
ब्‍लॉग पर दहाड़ती पोस्‍ट है
जिसका टिप्‍पणियां गोस्‍त हैं।
सच्ची और सीधी कविता। बधाई!
neera ने कहा…
यथार्थ और सच्चाई एक साथ परसी हुई!
Rangnath Singh ने कहा…
हमारे समय में
अराजनीतिक होना
महान राजनीतिग्य होने की
सबसे ज़रूरी शर्त है
-
sau fisad shi kahaa h...
sandhyagupta ने कहा…
यानी
यह बिलकुल सही समय है
सबकुछ उलट-पुलट देने का

Kavita purani bhale ho par aprasangkik katai nahin.
समय ने कहा…
बेबाक कविता।
उम्दा इशारे॥
प्रदीप कांत ने कहा…
हमारे समय में कविता
बंद कमरे में सिसकती औरत है
और बंधी मुट्ठी
सस्ती राजनीति

यानी
यह बिलकुल सही समय है
सबकुछ उलट-पुलट देने का

- यथार्थ और सच्चाई एक साथ
admin ने कहा…
यह बिलकुल सही समय है
सबकुछ उलट-पुलट देने का

bahut hee achchhi prastuti. Aur kavita kabhee puranee nahi hoti sandarbh ho sakte hain.
रजनीश 'साहिल ने कहा…
kavita
kavita hoti hai
nayi ya purani nahi hoti
samay ko vyakt karta ek bayaan hoti hai
chubhan hoti hai
jo purane gaav me se bhi risti hai kabhi-kabhi
aage badhte kadmon me
pichhli galtiyon ko yaad rakhne ki
kahaani hoti hai kavita

bahut kuchh hote hue
aur bhi bahut kuchh ho sakti hai
kavita
kavita hoti hai.
कडुवासच ने कहा…
... सुन्दर रचना !!!
विभाव ने कहा…
इस रचना को सिर्फ सुंदर कह कर नहीं टाला जा सकता। इसके कारणों की समीक्षा जरूरी है, इलाज के रास्तों की तलाश जरूरी है।

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