अधूरी प्रेमकथायें

(पिछली कविता पर जो प्रतिक्रियायें आईं उनमें एक 'शाक' का तत्व था…एक नियमित पाठिका ने मेल किया…'अशोक जी, इतना सच नहीं कहते भाई…कमेन्ट नहीं दे पाऊंगी'…ख़ैर मुझे लिखते समय भी शाक लगा ही थी तो यह अनपेक्षित नहीं था। इसी बीच भोपाल के भाई रितेश से बात के दौरान चंद्रभूषण जी की कविता अधूरी प्रेमकथायें का ज़िक्र आया तो मन में एकदम से उसे पोस्ट करने का ख़्याल आया। कारण तो आप पढ़कर समझ ही जायेंगे। कविता उनके संकलन इतनी रात गये से साभार)




जानते नहीं गृहस्थजन कि अधूरापन क्या होता है
इतने मगन होते हैं वे अपने पूरेपन में
कि हर प्रेमकथा उन्हें अधूरी ही लगती है
प्रेमी ही जानते हैं कि पूरापन क्या होता है
वे किसी को अधूरा नहीं कहते, गृहस्थ को भी नहीं

अगर आप सदगृहस्थ हैं, तो क्षमा करें
प्रेमी हैं तो भी क्षमा करें
मैं अदूरेपन का गायक हूं
और ले जाना चाहता हूं आपको
अधूरेपन की ख़तरनाक दुनिया में

दोस्तों, अधूरी प्रेमकथायें होती हैं
बादलों की शक्ल की कोई चीज़
यानि उन बादलों की शक्ल की नहीं
जो बरस कर निकल चुके होते हैं
और न उनकी, जो किसी वजह से बरस नहीं पाते

मैं बात कर रहा हूं उन बादलों की
जो आज तक साफ़ न देखे जा सकते हुए भी
घेरे हुए हैं हमारे समूचे सौर मण्डल को
और जहां से आने वाले धूमकेतु
धरती के नाश का ख़तरा बन कर आते हैं

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती हैं
जिन काग़जों पर इन्हें लिखा जाना होता है
वे इनका सामना होते ही काले पड़ जाते हैं
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।


टिप्पणियाँ

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती हैं
जिन काग़जों पर इन्हें लिखा जाना होता है
वे इनका सामना होते ही काले पड़ जाते हैं
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।
bilkul sahi
ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती हैं
जिन काग़जों पर इन्हें लिखा जाना होता है
वे इनका सामना होते ही काले पड़ जाते हैं
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।

बाप रे ...आपने तो अधूरी प्रेम कथाओं की कलई ही खोल दी एकदम सही चीज़ खोजी आपने सुंदर कविता है . बधाई .
L.Goswami ने कहा…
सब झूठ सुनने की सुविधा चाहते हैं..आप सच कह कर असुविधा की स्थिति पैदा कर देते हैं ..यह जरुरी भी है ..असुविधा ही परिवर्तन का कारण बनती है ..
rashmi ravija ने कहा…
जानते नहीं गृहस्थजन कि अधूरापन क्या होता है
इतने मगन होते हैं वे अपने पूरेपन में

सच्चाई उकेरती एक और रचना....पूरेपन के मुगालते में ही गुज़ार देते हैं पूरा जीवन गृहस्थजन...

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।

एक और निर्मम सच...
bisani ने कहा…
behtareen kavita hai ye..! lagaane ke liye dhanyavad
शरद कोकास ने कहा…
कविता अपने शिल्प में बहुत अच्छी है लेकिन इसके कथ्य में अधूरापन दिखाई देता है और यह किसी एक विचार पर केन्द्रित नहीं दिखाई देती । यह भी अधूरेपन की एक विशेषता है जो इसे पूरा होने से रोकती है ।
शरद कोकास ने कहा…
कविता अपने शिल्प में बहुत अच्छी है लेकिन इसके कथ्य में अधूरापन दिखाई देता है और यह किसी एक विचार पर केन्द्रित नहीं दिखाई देती । यह भी अधूरेपन की एक विशेषता है जो इसे पूरा होने से रोकती है ।
शरद कोकास ने कहा…
कविता अपने शिल्प में बहुत अच्छी है लेकिन इसके कथ्य में अधूरापन दिखाई देता है और यह किसी एक विचार पर केन्द्रित नहीं दिखाई देती । यह भी अधूरेपन की एक विशेषता है जो इसे पूरा होने से रोकती है ।
vandana gupta ने कहा…
अधूरेपन की क्या खूब व्याख्या की है……………………सच को आईना दिखा दिया।
neera ने कहा…
प्रेम रस का ख्याल लेकर आई और एक निर्मम सत्य को गांठ बांध कर ले जा रही हुं ...
मैं बात कर रहा हूं उन बादलों की
जो आज तक साफ़ न देखे जा सकते हुए भी
घेरे हुए हैं हमारे समूचे सौर मण्डल को
और जहां से आने वाले धूमकेतु
धरती के नाश का ख़तरा बन कर आते हैं...

अधूरेपन की व्यथा-कथा के खलनायक ये धूमकेतु...
बहुत अच्छी कविता.
Unknown ने कहा…
दूसरे पैरा की पहली लाइन में "गृहस्थ" के स्थान पर "सद्गृहस्थ" है
Shekhar Kumawat ने कहा…
bahut khub



- बधाई
Ashok Kumar pandey ने कहा…
जोशिम जी शुक्रिया…सुधार दिया है
स्वप्नदर्शी ने कहा…
एक ख़ास तरह के बंद समाज में ही अधूरी प्रेमकथाओं का इतना भयानक वाचन हो सकता है, जहां शुचिता का आग्रह हो, और वास्तविक जीवन में भले ही प्रेम न हो, पर प्रेम को लेकर कुछ रोमानी किस्म की सामंती मान्यता हो. अन्यथा, दूसरे समाजों में प्रेम को लेकर जो अकसर अधूरे ही रहते है, कुछ सहानुभूती, कुछ मिली-जुली खुशी और दुःख का भाव बना रहता है, और भूतपूर्व प्रेमियों, भूतपूर्व पति-पत्नियों में भी दोस्ती कायम ही रहती है. प्रेम भी एक क्याल ही है, किसी दूसरे को प्रेम करने से ज्यादा खुद को प्रेम करना है और अपनी इच्छा , आकान्शाओं के फ्रेम में दूसरे को देखने की कुछ हद तक ज़िद भी. भले ही वों कोई सीधा भौतिक सबब न हो तब भी. और यहीं पर समाज की बुनावट, संस्कृति की अपनी ख़ास तरह का इतिहास -भूगोल प्रेम का ख्याल किस तरह बने, को एक ढाँचे में कैद कर देता है, प्रेमियों के चाहे -अनचाहे. प्रेम भी फिर समाज की बुनावट के इतर अमूर्तन में कहांहै?
मैं बात कर रहा हूं उन बादलों की
जो आज तक साफ़ न देखे जा सकते हुए भी
घेरे हुए हैं हमारे समूचे सौर मण्डल को
और जहां से आने वाले धूमकेतु
धरती के नाश का ख़तरा बन कर आते हैं


ज्याद जानती नही शिल्प इत्यादि...पर अद्भुत लगी ये रचना...मन के करीब
सृजनगाथा ने कहा…
क्या ये वही चंद्रभूषण हैं जो किताब मेले के कारोबार से भी जुड़े हैं ? शायद इन्हें कभी रायपुर में देखा था...
Shweta ने कहा…
जानते नहीं गृहस्थजन कि अधूरापन क्या होता है
इतने मगन होते हैं वे अपने पूरेपन में

सच्चाई उकेरती एक और रचना....पूरेपन के मुगालते में ही गुज़ार देते हैं पूरा जीवन गृहस्थजन...

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।

सच को आईना दिखा दिया।
Shweta ने कहा…
जानते नहीं गृहस्थजन कि अधूरापन क्या होता है
इतने मगन होते हैं वे अपने पूरेपन में

सच्चाई उकेरती एक और रचना....पूरेपन के मुगालते में ही गुज़ार देते हैं पूरा जीवन गृहस्थजन...

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।

सच को आईना दिखा दिया।
Shweta ने कहा…
जानते नहीं गृहस्थजन कि अधूरापन क्या होता है
इतने मगन होते हैं वे अपने पूरेपन में

सच्चाई उकेरती एक और रचना....पूरेपन के मुगालते में ही गुज़ार देते हैं पूरा जीवन गृहस्थजन...

ऐसे ही अदृश्य और ख़तरनाक होती हैं अधूरी प्रेम-कथायें
जो न कभी लिखी जाती हैं और न कही जाती
और जो दिल इन्हें धारण करते हैं
कालांतर में उनकी धज्जियां उड़ जाती हैं।

अधूरेपन की क्या खूब व्याख्या की है……………………सच को आईना दिखा दिया।

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