मैं एक सपना देखता हूँ
(कई दिनों से मन बेहद बेचैन था....जब सारी बेचैनी समेटने की कोशिश की तो यह सब प्रलाप दर्ज हुआ...पहला ही ड्राफ्ट आप सबसे शेयर करने को बेचैन हूँ और आपकी बेबाक राय का मुन्तजिर) मैं एक सपना देखता हूँ मैं एक सपना देखता हूँ रात के इस तीसरे पहर जब सपनों को सो जाने के आदेश दिए जा चुके हैं जब पहरेदारों ने कस दिए हैं मस्तिष्क के द्वार जब सारे सपनों के हकीक़त बन जाने की अंतिम घोषणा की जा चुकी है उन्माद और गुस्से की आखिरी खेप के नीलाम हो जाने की खुशी में बह रही है शराबें शराबों की ज़हरीली महक से बेपरवाह मैं एक सपना देखता हूँ.... मैं एक सपना देखता हूँ जिसमें बिल्कुल सचमुच के इंसान है खुशी, दुःख और गुस्से से भरे हुए जब होठों और मुसकराहट के बीच फंसा दिए गए हैं तमाम सौंदर्य प्रसाधनों के फच्चर मैं उन लहूलुहान होठों से झरते गीतों की रुपहली आवाज़ सुनता हूँ मैं देखता हूँ इस निस्सीम विस्तार के उस पार मैं देखता हूँ इस भव्य इमारत का झरता हुआ पलस्तर मैं रास्ते में गिरे हुए चेहरे देखता हूँ मैं देखता हूँ लहू के निशान, पसीने की गंध, आंसूओं के पनीले धब्बे मैं इस शव