नवनीत सिंह की कवितायें
नवनीत सिंह बिलकुल नए कवि हैं. जब उन्होंने इस इसरार के साथ कवितायें मेल कीं कि 'न पसंद आये तो भी प्रतिक्रिया दें' तो उनकी कविताओं को गौर से पढ़ना ज़रूरी लगा. इनमें अभी कच्चापन है, अनगढ़ता भी और शब्द स्फीति भी, लेकिन इन सबके साथ एक गहरी सम्बद्धता और रा एनर्जी है जो उनके भीतर की संभावना का पता देती है. भूमंडलोत्तर काल में युवा हुई पीढ़ी के अपने अनुभव हैं और उन्हें दर्ज़ कराने के लिए अपनी भाषा -अपनी शैली. वहां 'वृक्ष और टहनियों के दर्द' का एहसास भी है और 'धनुष-बाण के कारखाने बंद ' किये जाने का अनुभव भी. लोगों को पहचानने के उनके अपने नुस्खे हैं, जिनसे आप असहमत भले हों पर जिन्हें नज़रंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए. असुविधा पर इस नयी आवाज़ का स्वागत.... चित्र यहाँ से साभार उम्मीदें बढ़ रही है हमारे निशाने मे चिड़िया की आँख नहीं थी, वृक्ष की टहनियों और पत्तियों का दर्द था, धनुष बाण के कारखाने बन्द करने के बाद हमे निराशावादी कहना हमारी संवेदना का मजाक उड़ाना था, आशावादिता हारने के बाद, खिसियाहटो को बचाने मे काम आयी, उन गुरुओं को आज भी हमसे काफी उम्