वे चुप हैं
हत्यारे की शाल की
गुनगुनी ग़र्मी के भीतर
वे चुप हैं
वे चुप हैं
गिनते हुए पुरस्कारों के मनके
कभी-कभी आदतन बुदबुदाते हैं
एक शहीद कवि की पंक्तियाँ
उस कविता से सोखते हुए आग वे चुप हैं
वे चुप हैं
मन ही मन लगाते आवाज़ की कीमत
संस्थाओं की गुदगुदी गद्दियों में करते केलि
सारी आवाज़ों से बाखबर
वे चुप हैं
वे चुप हैं
कि उन्हें मालूम हैं आवाज़ के ख़तरे
वे चुप हैं कि उन्हें मालूम हैं चुप्पी के हासिल
चुप हैं कि धूप में नहीं पके उनके बाल
अनुभवों की बर्फ़ में ढालते विचारों की शराब
वे चुप हैं
चुप्पी ख़तरा हो तो हो
ज़िन्दा आदमी के लिए
तरक्कीराम के लिए तो मेहर है अल्लाह की
उसके करम से अभिभूत वे चुप हैं
गुनगुनी ग़र्मी के भीतर
वे चुप हैं
वे चुप हैं
गिनते हुए पुरस्कारों के मनके
कभी-कभी आदतन बुदबुदाते हैं
एक शहीद कवि की पंक्तियाँ
उस कविता से सोखते हुए आग वे चुप हैं
वे चुप हैं
मन ही मन लगाते आवाज़ की कीमत
संस्थाओं की गुदगुदी गद्दियों में करते केलि
सारी आवाज़ों से बाखबर
वे चुप हैं
वे चुप हैं
कि उन्हें मालूम हैं आवाज़ के ख़तरे
वे चुप हैं कि उन्हें मालूम हैं चुप्पी के हासिल
चुप हैं कि धूप में नहीं पके उनके बाल
अनुभवों की बर्फ़ में ढालते विचारों की शराब
वे चुप हैं
चुप्पी ख़तरा हो तो हो
ज़िन्दा आदमी के लिए
तरक्कीराम के लिए तो मेहर है अल्लाह की
उसके करम से अभिभूत वे चुप हैं
टिप्पणियाँ
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kavita par apni ray pahle hi rakh cuka hu...
( Treasurer-S. T. )
ज़िन्दा आदमी के लिए
तरक्कीराम के लिए तो मेहर है अल्लाह की
उसके करम से अभिभूत वे चुप हैं
खुब्सूरत पंक्तियाँ...........जिसमे गहराई बहुत है .......
ज़िन्दा आदमी के लिए
तरक्कीराम के लिए तो मेहर है अल्लाह की
उसके करम से अभिभूत वे चुप हैं
खुब्सूरत पंक्तियाँ...........जिसमे गहराई बहुत है .......
रात-दिन राम कहानी सी कहा करते हैं
-मीर
जब तक टूटती नहीं उनकी चुप्पियां
या फिर वे बेनक़ाब नही हो जाते
कि उन्हें मालूम हैं आवाज़ के ख़तरे
वे चुप हैं कि उन्हें मालूम हैं चुप्पी के हासिल
चुप हैं कि धूप में नहीं पके उनके बाल
अनुभवों की बर्फ़ में ढालते विचारों की शराब
वे चुप हैं
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दुख यह है कि वे बेहोश नहीं, ख़ामोश हैं, जानते बूझते भी
बहूत खूब!
आज के जीवन का सबसे बड़ा सत्य!
चौकं उठा है मेरे भीतर का गुनाहगार...
क्योंकि चुप रहने का जुर्म उसने भी किया है!
क्या नियति कर देते हैं आप?
ज़िन्दा आदमी के लिए
तरक्कीराम के लिए तो मेहर है अल्लाह की
उसके करम से अभिभूत वे चुप हैं
achchhi kavita hai.
badhai.