निकोनार पार्रा की कविताएँ - अनुवाद : उज्जवल भट्टाचार्य
“कविता मुझे हमेशा वेदिका से पादरी की आवाज़ जैसी लगती थी...पंछियों को
गाने दो” – निकानोर पार्रा ने कभी कविता के बारे में ये शब्द कहे थे.
पार्रा का मानना था कि राजनीतिक व भावनात्मक शैली के बदले कविता में बोलचाल की
भाषा, व्यंग्य और विसंगति होनी चाहिए.
पार्रा जब चिली के कविता जगत में उभरे तो नेरुदा वहाँ छाये हुए थे.
दोनों में गहरी मित्रता थी, दोनों कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हुए थे. लेकिन
कविता की शैली के मामले में उनके चयन अलग-अलग थे. पार्रा ने नेरुदा के समानान्तर
या विपरीत एक शैली विकसित की, जिसे उन्होंने anti-poem कहा. अपनी धारणा को उन्होंने 1954 में
अपने कविता संग्रह Poemas y Antipoemas में
प्रस्तुत किया था.
नेरुदा व पार्रा एक-दूसरे की कविता बेहद पसंद करते थे. नेरुदा ने कविता के मंच पर पार्रा के आने का स्वागत किया था. नेरुदा जब अकादमी के सदस्य बने तो उनके लिये स्वागत भाषण में पार्रा ने कहा था : “नेरुदा के काव्य को नकारने के दो तरीके हो सकते हैं. उन्हें न पढ़ना और कुटिल इरादे के साथ उन्हें पढ़ना. मैंने दोनों कोशिशें की हैं और मैं विफल रहा.”
1937 में ही पार्रा का पहला काव्य संग्रह ‘बिना नाम की गीत पुस्तिका’ प्रकाशित हुई थी. anti-poem
के प्रवक्ता के रूप में उन्होंने बाद में इस संग्रह को नकार दिया.
लेकिन कुछ आलोचकों का मानना है कि पहले संग्रह में ही उनकी शैली का आभास मिलता है.
जनवरी, 2018 में 103 साल की उम्र में निकानोर पार्रा का देहान्त हुआ.
·
उज्जवल भट्टाचार्य
पाठक
के लिये चेतावनी
लेखक
अपनी रचना से पैदा होने वाले किसी सवाल का
जवाब
नहीं देगा :
यह
पाठक के लिये मुश्किल हो सकता है
लेकिन
अब से उसे इस बात को स्वीकार करना है.
पवित्र
ट्रिनिटी की अवधारणा को चीथड़ा-चीथड़ा कर देने के बाद
क्या
महान व्यंग्यकार और धर्मशास्त्री साबेलियुस ने
अपनी
धर्मविरोधी बातों की कोई कैफ़ियत दी थी ?
और
उसने दी भी, तो वह कितनी दमदार थी !
बिल्कुल
सनकी अंदाज़ में,
उसका
जवाब विरोधाभासों के एक ढेर पर टिका था !
विधिवेत्ताओं
का कहना है कि यह किताब छापी नहीं जानी चाहिए :
इसमें
कहीं इंद्रधनुष का ज़िक्र तक नहीं,
दुख
का भी नहीं
या
कंठीमाला का.
हाँ
कुर्सी मेज़ की भरमार है,
ताबूत,
या डेस्क की !
वो
सारी चीज़ें जिन पर मुझे फ़ख़्र है
क्योंकि,
मेरी राय में, आसमान टूटकर बिखर रहा है.
वे
सारे नश्वर जो विटगेनश्टाइन की किताब ट्रैक्टाटस पढ़ चुके हैं
अपना
सीना पीट सकते हैं
क्योंकि
उसे पा सकना मुश्किल है :
लेकिन
वियन्ना का क्लब अरसों पहले टूट चुका,
बिना
कोई सुराग छोड़े उसके लोग बिखर गए
और
मैंने चाँद के नायकों के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने को सोचा है.
मेरी
कविता शायद ही कहीं पहुंचाएगी :
“हंसी
यहाँ डिब्बाबंद है !” मेरे विरोधी कहेंगे,
“सिर्फ़
घड़ियाली आँसू !”
“आह
के बदले इन्हें पढ़कर जंभाई आती है ”
“यह
तो सीने से चिपकने के लिये बच्चे की तरह चीखता, हाथ-पैर मारता है”
“लेखक
छींकता है ताकि लोग उसकी ओर देखें”
ठीक
है : आओ, अपने जहाज़ जला डालो,
फ़्युनिशियन
की तरह, मैं अपना ही ककहरा तैयार करने की कोशिश करता हूँ.
“फिर
लोगों को क्यों परेशान करते हैं ?” मित्र पाठक पूछेंगे :
“अगर
लेखक ख़ुद अपनी रचना की मलामत करने लगे,
उसमें
क्या अच्छाई हो सकती है ?”
देखो
जी, मैं मलामत नहीं कर रहा
या
यूँ कहा जाय, मैं अपने नज़रिये की तारीफ़ ही करता हूँ,
मुझे
अपनी खामियों पर फ़ख़्र है
अपनी
रचना की बेशुमार तारीफ़ करता हूँ.
ऐरिस्टोफ़ेनेस
के पंछी
अपने
मां-बाप को दफ़न करते थे
अपने
ही सिर में
(हर
पंछी एक उड़ता हुआ मकबरा होता था).
मेरा
मानना है
वक़्त
आ चुका है कि इस रवायत को फिर से जिलाया जाय
--------------------------------------------------
Trinity
: ईसाई धर्म के तीन सर्वोच्च प्रतीक, Father(भगवान), Son(ईसा), और Holy
Spirit, जो ईसा के जन्म से पहले मरियम से मिलने आये थे. साबेलियुस
तीसरी सदी के एक धर्मशास्त्री थे, और वह तीन की इस अवधारणा
को नहीं मानते थे. उनके अनुसार ईश्वर सिर्फ़ एक है, और उनके
तीन प्रतीक नहीं हो सकते.
Tractatus
: आस्ट्रिया के दर्शन शास्त्री लुडविष विटगेनश्टाइन की प्रारंभिक
रचना Tractatus Logico-Philosophicus में यथार्थ और भाषा के
बीच सम्बन्धों पर 526 सूत्र प्रस्तुत किये गये थे. विटगेनश्टाइन ने बाद में इन
अवधारणाओं से दूरी बनाई, लेकिन वियन्ना क्लब के उनके
अनुयायियों के बीच यह पुस्तक अत्यंत लोकप्रिय हुई थी.
Aristophanes
: ईसा पूर्व पाँचवी सदी के ग्रीक नाटककार. Ornithes, या पंछी उनका एक नाटक है.
आख़िरी
जाम
हमें
पसंद हो या न हो,
हमारे
सामने सिर्फ़ तीन विकल्प हैं :
बीता
हुआ कल, आज और आनेवाला कल.
और
यहाँ तक कि तीन भी नहीं
क्योंकि
जैसा कि दर्शनशास्त्री कहते हैं
बीता
हुआ कल बीता हुआ कल है
वह
सिर्फ़ हमारी याददाश्त में है :
जिस
गुलाब को तोड़ा जा चुका है
उसकी
पंखुड़ियाँ नहीं मिल सकतीं.
रह
जाते हैं फिर
सिर्फ़
दो :
आज
और आनेवाला कल.
और
वे दो भी नहीं हैं
क्योंकि
यह सबको पता है
वर्तमान
का अस्तित्व ही नहीं है
सिवाय
इसके कि वह अतीत में चला गया
और
ख़त्म हो चुका...,
जवानी
की तरह.
आख़िरकार
हमारे
पास आनेवाला कल ही रह जाता है.
मैं
जाम उठाता हूँ
उस
दिन के लिये जो कभी आता नहीं.
लेकिन
यही बस
हमारे
पास रह जाता है.
आग्नुस
डाई
धरती
के दिगन्त
धरती
के ग्रह
आँसू,
रोकी गई सिसकी
मुँह
से धरती की थूक
कोमल
दांत
देह
सिर्फ़ धरती का एक थैला
धरती
की धरती – कीड़ों की धरती.
ईश्वर
का मेमना तुम विश्व के पापों को धो डालते हो
ज़रा
यह बता दो बगीचे में कितने सेब हैं.
ईश्वर
का मेमना तुम विश्व के पापों को धो डालते हो
माफ़
करना अभी बजे कितने हैं.
ईश्वर
का मेमना तुम विश्व के पापों को धो डालते हो
मुझे
थोड़ा ऊन दे दो ताकि एक स्वेटर बना सकूं.
ईश्वर
का मेमना तुम विश्व के पापों को धो डालते हो
हमें
शांति से संभोग करने दो :
हमारे
पवित्र कर्म में टांग मत अड़ाओ.
Agnus
Dei – ईश्वर का मेमना, न्यू टेस्टामेंट
में ईसा को ईश्वर का मेमना कहा गया है.
Sebestian Gonzalez द्वारा बनाया गया पार्रा का पोट्रेट यहाँ से |
किसी
राष्ट्रपति की मूर्ति नहीं बच पाती है
किसी
राष्ट्रपति की मूर्ति नहीं बच पाती है
उन
अचूक कबूतरों से
क्लारा
सांडोवाल हमें कहा करती थी :
उन
कबूतरों को पता है वे क्या करते हैं.
कुछ
ऐसा ही
पार्रा
ठहाके लगाता है मानो कि उसे नर्क भेजा जा रहा है
लेकिन
कवि कब ठहाके नहीं लगाते हैं ?
कम
से कम वह ऐलान करता है कि वह ठहाके लगा रहा है.
वे
उम्र गुज़ार देते हैं उम्र
गुज़ार
देते हैं
कम
से कम लगता है कि वे गुज़ारते हैं
hypothesis
non fingo*
सबकुछ
यूँ होता रहता है मानो वे गुज़ार रहे हैं
अब
वह रोने लगता है
यह
भूलकर कि वह अकवि है
0
दिमाग
लड़ाना बंद करो
कविता
आजकल कोई नहीं पढ़ता
इससे
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वह अच्छी है या बुरी
0
मेरी
ओफ़ेलिया मेरी चार कमज़ोरियों को माफ़ नहीं करेगी :
बूढ़ा
बेकारज़िन्दगी
कम्युनिस्ट
और
राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
<<मेरा
परिवार शायद माफ़ कर दे
पहली
तीन कमज़ोरियाँ
लेकिन
आख़िरी वाली कभी नहीं>>
0
मेरी
लाश और मैं
एक-दूसरे
को बख़ूब समझते हैं
मेरी
लाश पूछती है : तुम भगवान को मानते हो ?
और
मैं दिल खोलकर कहता हूँ बिल्कुल नहीं
मेरी
लाश पूछती है : क्या तुम सरकार को मानते हो ?
और
मैं हंसिया हथौड़ा उठाकर जवाब देता हूँ
मेरी
लाश पूछती है : क्या तुम पुलिस को मानते हो ?
और
मैं उसके चेहरे पर एक मुक्का जड़ देता हूँ
फिर
वह ताबूत से बाहर निकल आता है
और
हम बाँहों में बाँह डाले वेदी तक पहुंचते हैं
0
दर्शनशास्त्र
की असली समस्या
थाली
कौन धोएगा
कोई
आध्यात्मिक मसला नहीं
ईश्वर
सत्य
अनित्यता
बेशक
लेकिन
सबसे पहले, थाली कौन धोएगा
जो
भी धोना चाहता हो, आगे बढ़े
फिर
मिलेंगे जानेमन
और
हम फिर बन जाते हैं दुश्मन
0
होमवर्क
एक
सॉनेट लिखो
जिसकी
शुरुआत पाँच चरणों के इस छंद से हो :
मैं
तुमसे पहले मरना चाहूँगा
और
जिसके अंत में यह पंक्ति हो :
मैं
चाहूँगा कि तुम्हारी मौत पहले हो
0
पता
है क्या हुआ
जब
मैं घुटना टेका हुआ था
सलीब
के सामने
उसके
घाव देखते हुए ?
मुस्कराते
हुए उसने मुझे आँख मारी !
पहले
मैं सोचता था वह कभी नहीं हँसता
लेकिन
अब तो मुझे यकीन हो गया है
0
एक
जर्जर बुड्ढा आदमी
अपनी
प्यारी माँ के ताबूत पर
बिखेरता
है लाल कार्नेशन के फूल
तुम
सुन रहे हो, देवियों और सज्जनों :
वाइन
पीने का आदी एक बूढ़ा
अपनी
माँ के मकबरे पर बमबारी करता है
लाल
कार्नेशन की माला फेंककर
0
धर्म
की ख़ातिर मैंने खेलकूद छोड़ दिया
(
हर इतवार मैं प्रार्थना सभा में जाने लगा)
कला
की ख़ातिर मैंने धर्म छोड़ दिया
गणित
की ख़ातिर मैंने कला छोड़ दिया
और
अंत में प्रबोधन का शिकार हुआ
और
अब मैं ऐसा हूँ जो सिर्फ़ गुज़रता है
समूचे
या उसके हिस्सों में जिसे यकीन नहीं
*
hypothesis non fingo– मेरा कोई अनुमान नहीं (न्यूटन)
चेतावनियाँ
अगर
आग लगती है
लिफ़्ट
का इस्तेमाल मत करो
सीढ़ियों
का इस्तेमाल करो
अगर
दूसरा निर्देश न दिया जाय
सिगरेट
मत पीओ
गंदगी
मत फैलाओ
हगो
मत
रेडियो
मत चलाओ
अगर
दूसरा निर्देश न दिया जाय
हर
बार इस्तेमाल के बाद
टॉयलेट
का फ़्लश चलाओ
मगर
जब ट्रेन स्टेशन पर हो
तब
नहीं
अगले
मुसाफ़िर के बारे में सोचो
ईसाई
सैनिकों बढ़े चलो
दुनिया
के मज़दूरों एक हो
हमारे
पास खोने को कुछ भी नहीं
सिर्फ़
हमारी ज़िन्दगी पिता और पुत्र
और
पाक फ़रिश्ते की जय हो
अगर
दूसरा निर्देश न दिया जाय
हाँ,
वैसे
हम
भी इन सच्चाइयों को
मानी
हुई बात मानते हैं
कि
सारे लोगों की स़ृष्टि हुई है
कि
उन्हें सौंपे गये हैं
उनके
स्रष्टा द्वारा
कुछ
अलंघ्यनीय अधिकार
इनमें
शामिल हैं : जीने का
आज़ादी
का और ख़ुश होने की कोशिश का अधिकार
और
सबसे बड़ी बात
कि
दो जमा दो चार होता है
अगर
दूसरा निर्देश न दिया जाय
जैसा
कि मैं कह रहा था
हर
बात में नम्बर वन
न
कभी हुआ है न कभी होगा
कोई
मेरी जैसी मर्दानी ताकत वाला
एक
बार एक बेबी सिटर मिली
और
लगातार सत्रह बार वह झर गई.
मैंने
गाब्रिएला मिस्त्राल को खोज निकाला
मुझसे
पहले किसी को पता न था कि कविता क्या है
मैं
एथलीट हूँ : पलक झपकते ही
मैं
सौ मीटर दौड़ लेता हूँ.
यह
तो पता ही होगा कि चिली में बोलने वाली तस्वीरें मैं लाया
एक
मायने में तुम कह सकते हो
मैं
इस देश का पहला बिशप हूँ
पहली
बार हैट बनानेवाला
पहला
शख़्स जिसने देखी
अंतरिक्ष
यात्रा की संभावना.
चे
ग्वेवेरा से मैंने कहा, “बोलिविया, नहीं-नहीं”
तफ़सील
से उसे मैंने सारी बातें समझाई
मैंने
चेतावनी भी दी कि उसकी जान ख़तरे में होगी
अगर
उसने मेरी बात मानी होती
तो
जो उसके साथ हुआ वो न होता
याद
है बोलिविया में उस पर क्या गुज़रा था ?
कॉलेज
में सब मुझे मूरख कहते थे
लेकिन
मैं क्लास का फ़र्स्ट बॉय था
बस
ऐसा ही था जैसा तुम मुझे देख रहे हो
जवान
– ख़ूबसूरत – होशियार
मैं
कहूँगा जीनियस
अप्रतिरोध्य
एक
गधे से बड़ा बाबूलाल
किशोरियों
को दूर से ही पता चल जाता था
हालाँकि
मैं छिपाने की पुरज़ोर कोशिश करता था.
जो
कुछ मैंने कहा सब वापस लेता हूँ
मेरे
जाने से पहले
एक
आख़िरी ख़्वाहिश मानी जानी चाहिए :
हे
उदार पाठक
इस
किताब को जला दो
यह
कतई वह नहीं जो मैं कहना चाहता था
हालाँकि
इसे ख़ून से लिखा गया
यह
वह नहीं जो मैं कहना चाहता था.
मुझसे
बदतर किस्मत किसी की नहीं हो सकती
मेरे
साये ने मुझे मात दे दी :
मेरे
अलफ़ाज़ ने मुझसे बदला लिया.
माफ़
कर देना, पाठक, मेरे अच्छे पाठक
अगर
मैं विदा नहीं ले पाता
तुमसे
गले मिलते हुए, तो फिर विदा लेता हूँ
एक
फीकी गमगीन मुस्कान के साथ.
शायद
इतना ही मैं हूँ
लेकिन
मेरी आख़िरी बात सुन लो :
जो
कुछ मैंने कहा सब वापस लेता हूँ
दुनिया
के बेइन्तहा कड़वेपन के साथ
जो
कुछ मैंने कहा सब वापस लेता हूँ.
बबूल
बहुत
साल पहले टहलते-टहलते
एक
सड़क पर जहाँ बबूल के फूल खिले थे
हमेशा
सब कुछ जानने वाले एक दोस्त ने बताया
कि
तुमने शादी कर ली है.
मैंने
उससे कहा कि दरअसल
मेरा
इससे कोई लेनादेना नहीं.
मुझे
तुमसे कभी प्यार नहीं था
-
तुम्हें पता है सच्चाई क्या है –
लेकिन
जब भी बबूल के फूल खिलते हैं
-
तुम्हें शायद ही यकीन हो –
मेरे
मन में वही भाव आते हैं
मानो
कोई बंदूक से निकली गोली की तरह
मुझे
दिल तोड़ने वाली यह ख़बर दे रहा हो
कि
तुमने किसी और से शादी कर ली है.
मुद्रास्फीति
रोटी
की कीमत बढ़ गई फिर से रोटी की कीमत बढ़ गई
मकान
के किराये बढ़े
नतीजतन
सभी मकानों के किराये दोगुने हो गये
कपड़े
की कीमत बढ़ी
इसके
चलते कपड़े की कीमत बढ़ती गई.
बेरोकटोक
हम
एक दूषित चक्र में फंस चुके हैं.
पिंजरे
के अंदर भोजन है.
ज़्यादा
नहीं, लेकिन भोजन है.
बाहर
सिर्फ़ आज़ादी के चौरस इलाके.
मोहतरमा
आपके
बेटे को सुखंडी है
उसे
गोश्त का शोरबा दो
दूध
पिलाओ गोश्त और अंडे खिलाओ
सूअर
के इस दड़बे से बाहर निकलो
पार्क
ऐवेन्यू में एक फ़्लैट ले लो
आप
प्रेत जैसी दिख रही हैं, मोहतरमा
चंद
दिनों के लिये मायामी क्यों नहीं घूम आती
वाक्य
किसी
ग़लतफ़हमी में नहीं रहना है
मोटर
गाड़ी एक ह्वीलचेयर है
एक
शेर भेड़ों से बना है
कवियों
की जीवनी नहीं होती
मौत
एक सामुहिक आदत है
बच्चों
का जन्म ख़ुश रहने के लिये होता है
यथार्थ
धुंधला होकर ग़ायब हो जाता है
यौन
संगम एक शैतानी काम है
ईश्वर
ग़रीबों का एक अच्छा दोस्त है
वे
वैसे ही थे जैसे वे थे
वे
चाँद की पूजा करते थे – लेकिन ज़्यादा नहीं
वे
लकड़ी के टोकरे बनाते थे
उन्हें
संगीत का पता नहीं था
वे
खड़े-खड़े संभोग करते थे
वे
अपने मुर्दों को खड़ा दफ़नाते थे
वे
वैसे ही थे जैसे वे थे
सलीब
अभी
या कभी आंखों में आँसू भरे
लौटूंगा
मैं सलीब की खुली बाँहों में.
कभी
नहीं जल्द ही मैं गिर पड़ुंगा
घुटने
टेककर सलीब के कदमों में.
यह
मुश्किल है
सलीब
को न अपनाना :
देखो
कैसे वह मुझे बाँहों में ले लेती है ?
यह
आज नहीं होगा
कल
नहीं
या
परसों नहीं
लेकिन
होकर रहेगा जैसा कि होना है.
फ़िलहाल
सलीब एक हवाई जहाज़ है
एक
औरत है टांगे पसारी हुई.
Javi Mirona द्वारा बनाया गया पोट्रेट यहाँ से |
कुर्सी पर सोनेवाले कवि की चिट्ठियाँ
-1-
मैं बताता हूँ मामला क्या है
या तो हमें पहले से सब पता रहता है
या फिर कभी पता नहीं चलता.
सही तलफ़्फ़ुज़ का इस्तेमाल
बस इसी की इजाज़त हमें मिलती है.
बस इसी की इजाज़त हमें मिलती है.
-2-
रातभर औरतों के सपने देखता हूँ
कुछ मेरा मखौल उड़ाती हैं
कुछ मुझे गर्दनिया लगाती हैं
मुझे छोड़ने को वे तैयार नहीं.
हर वक़्त वे जंग छेड़े रहती हैं.
तूफ़ानी बादल सा एक चेहरे के साथ
मैं जग उठता हूँ.
और लोग सोचते हैं कि मैं सिरफ़िरा
हूँ
या फिर मौत से डरा हुआ हूँ.
या फिर मौत से डरा हुआ हूँ.
- 3-
ऐसे एक ईश्वर में विश्वास बेशक मुश्किल है
जो अपने बंदों को
अपने भरोसे छोड़ देता है
ज़माने के दस्तुर के रहम पर
सारी कमज़ोरियों के साथ
मौत की तो बात ही छोड़ी जाय.
-4-
मैं उनमें से हूँ जिन्हें धर्मविरोधी बातें पसंद हैं.
-5-
युवा कवियों
लिखो जैसा तुम चाहते हो
किसी भी शैली में जो तुम्हें पसंद हो
पुल के नीचे से काफ़ी ख़ून बह चुका
मुझे लगता है - इस यकीन के चलते
कि एक ही रास्ता सही है.
कविता में सब कुछ जायज़ है.
-6-
कमज़ोरियाँ
जर्जरता
और मौत
मासूम कन्याओं सी नाचती रहती हैं
हंस सरोवर के इर्दगिर्द
अधनंगी
मतवाली
मूँगा जैसे कामुक उनके होंठ.
-7-
यह मानी हुई बात है
कि चाँद पर इंसान नहीं बसते हैं
कि कुर्सियाँ मेज़ हैं
कि तितलियाँ हमेशा इतराते फूल हैं
कि सच्चाई एक सामुहिक ग़लती है
कि तितलियाँ हमेशा इतराते फूल हैं
कि सच्चाई एक सामुहिक ग़लती है
कि शरीर के साथ आत्मा की मौत हो
जाती है
यह मानी हुई बात है
कि झुर्रियाँ घाव के दाग नहीं हैं.
कि झुर्रियाँ घाव के दाग नहीं हैं.
-8-
जब कभी भी किसी भी वजह से
मुझे नीचे उतरना पड़ा
लकड़ी के अपने छोटे से मीनार से
ठंड से कांपते हुए मैं वापस लौटा
अकेलेपन से
डर से
दर्द से
-9-
ट्रॉली के सारे रास्ते ग़ायब हो चुके हैं
वे सारे पेड़ काट चुके हैं
उफ़क पर भरे हुए हैं सलीब.
मार्क्स को सात बार नकारा जा चुका
है
और हम जारी रखना जारी रखे हुए हैं.
और हम जारी रखना जारी रखे हुए हैं.
-10-
मधुमक्खियों को पित्तरस पिलाओ
मुँह में वीर्यरस डाल दो
ख़ून सने कीचड़ में लोटो
अंतिम संस्कार के बीच छींको
गाय को दूहने के बाद
दूध उसके मुँह पर फेंक दो
-11-
नाश्ते की गाज से
दोपहर की कड़कड़ाहट तक
रात्रिभोज के बिजली चमकने तक.
-12-
मैं आसानी से मायूस नहीं होता
सच-सच कहा जाय तो
मुर्दे की खोपड़ी देखकर भी मुझे हंसी आती है.
सलीब पर सोया हुआ कवि
आंसुओं से तुम्हारा स्वागत करता है जो ख़ून है.
-13-
यह कवि का फर्ज़ है
वह खाली पन्ने को बेहतर बनावे
मुझे शक़ है कि यह मुमकिन है.
-14-
सिर्फ़ ख़ूबसूरती के साथ चलता हूँ
बदसूरती से तकलीफ़ होती है.
-15-
आख़िरी बार कहता हूँ
कीड़े भगवान हैं
तितलियाँ हमेशा इतराते फूल हैं
सड़े हुए दांत
आसानी से टूटते हैं
मैं बेज़ुबान फ़िल्मों के दौर का हूँ.
संभोग एक साहित्यकर्म है.
-16-
चिली की सूक्तियाँ :
लाल बाल वालों के चेहरे पर झाइयाँ होती हैं
टेलिफ़ोन को पता होता है वह क्या कहता है
कछुए का उतना ही वक़्त बरबाद होता है
उक़ाब से रफ़्तार सीखने में जितना रुकना पड़ता है.
-17-
विश्लेषण का मतलब ख़ुद को त्यागना है
समझ के साथ सोचना सिर्फ़ चक्कर लगाना है
वही देखते हो जो देखना चाहते हो
जन्म से कुछ नहीं सुलझता
मानता हूँ कि मैं रो रहा हूँ.
जन्म से कुछ नहीं सुलझता
सिर्फ़ मौत ही कहती है सच्चाई क्या है
यहाँ तक कि कविता भी कायल नहीं करती
सिर्फ़ मौत ही कहती है सच्चाई क्या है
यहाँ तक कि कविता भी कायल नहीं करती
हमें सिखाया गया कि स्थान नहीं है
हमें सिखाया गया कि काल नहीं है
लेकिन यह भी कि
बूढ़ा होना अनिवार्य नियति है.
हमें सिखाया गया कि काल नहीं है
लेकिन यह भी कि
बूढ़ा होना अनिवार्य नियति है.
विज्ञान कह दे कि वह चाहता क्या
है.
अपनी कवितायें पढ़कर मैं ऊंघने
लगता हूँ
हालाँकि उन्हें ख़ून से लिखा गया है.
हालाँकि उन्हें ख़ून से लिखा गया है.
---------------------------
कविताई, पत्रकारिता
और
जर्मनी में रहते हुए जर्मन सहित कई भाषाओं विश्व कविता के उत्कृष्ट अनुवाद
ब्रेख्त की 101 कविताओं का संग्रह 'एकोत्तरशती'(वाणी प्रकाशन), एरिष फ़्रीड की 100 कविताओं का संग्रह 'वतन की तलाश'(वाणी) व हान्स माग्नुस एन्त्सेन्सबैर्गर की कविताओं का संग्रह 'भविष्य संगीत'(राधाकृष्ण प्रकाशन)
टिप्पणियाँ