ऐनी सेक्सटन की कविताएँ : अनुवाद - अनुराधा अनन्या
पिछली सदी के आरम्भ में अमेरिका में के समृद्ध व्यापारिक घर जन्मीं ऐनी सैक्सटन, एक असाधारण कवयित्री हैं। उनकी
कविताओं को confessional verse, स्टाइल की कविता कहा गया जिसमें उनके निजी और सामजिक जीवन की त्रासदी साफ़ तौर पर दिखाई देती है.
हालाँकि उनकी कविताएँ निजी से बाहर निकलकर अपने समय की सामाजिक-राजनैतिक
विसंगतियों और हिंसाओं को कविता में बखूबी दर्ज़ किया है. एक तनावपूर्ण बचपन और संघर्षशील तरुणाई के बाद अवसाद का शिकार हो उन्होंने केवल 46 वर्ष की उम्र में आत्महत्या कर ली थी.
आज उनकी कुछ कविताओं के अनुवाद अनुराधा अनन्या द्वारा
गृहणी
कुछ
औरतें घरों से ब्याही जाती हैं
ये
एक अलग तरह की चमड़ी के होते हैं
इनके
पास एक दिल है,
एक
मुँह,
एक जिगर और गूदा भी।
दीवारें
स्थायी और गुलाबी होती है।
देखों,कैसे ये (औरतें) पूरे दिन अपने घुटनों पर बैठती हैं,
शिद्दत
से खुद को धोती रहती हैं।
आदमीं
रौब से घुसते हैं,
और
जोनाह की तरह शान से वापस आते हैं
अपनी
मांसल माताओं में।
एक
औरत उनकी(औरतों) की मां है।
ये
भी बड़ी बात है।
-जोनाह एक माइथोलॉजी चरित्र है
पत्नी
को पीटने वाला
आज
रात कालीन पर कीचड़ होगा
और
शोरबे में ख़ून भी।
पत्नी
को पीटने वाला बाहर है,
बच्चे
को पीटने वाला बाहर है
वो
मिट्टी खा रहा है
और
एक कप से बंदूक की गोलियाँ पी रहा है।
वह
आगे-पीछे घूमता है
मेरी
स्टडी की खिड़की के ठीक सामने
मेरे
दिल के छोटे-छोटे लाल टुकड़ों को चबा रहा है
उसकी
आँखों की चर्बी
जन्मदिन
के केक की तरह चमक रही हैं
और
वो जैसे चट्टानों की रोटी बनाता है।
कल
तक वो एक शरीफ़ आदमी की तरह
इस
दुनिया में चल रहा था
वह
सीधा-सादा और रक्षा करने वाला था
लेकिन
आज पता नहीं कैसे कपटी और
संक्रामक
है।
कल
उसने मेरे लिये एक देश बनाया था
और
एक छाया करता था जहाँ मैं सो सकती थी
लेकिन
आज मैडोना और बच्चे के लिए एक ताबूत बनाया
आज
बेबी क्लॉथ में दो महिलाएँ हैम्बर्ग में होंगी।
वो
उन्हें अपनी उस्तरे जैसी जीभ से चूमेगा,
माँ,बच्चें और मैं
हम
तीनों के सितारों का रंग काला होगा
उसकी
माँ को याद करते हुए
जो
उसे खाने के लिये
पेड़
पर जंजीर से बाँध कर रखती थी
या
उसे पानी के नल की तरह
खोलते
और बंद करते चालू रखती थी
और
इस तरह इन धुंधले सालों में
उसने
इस फ़रेबी दिल
से
औरतों को दुश्मन बना लिया
आज
रात गली के सारे लाल कुत्ते
डर
के मारे दुबक गये
और
उसकी
पत्नी और मासूम बेटी
एक
दूसरे से लिपटी हुई हैं
जब
तक के वे मार नहीं खातीं।
काला
जादू
एक
औरत जो बहुत ज्यादा
लिखती है,महसूस करती है
उन
तल्लीनताओं और
अजूबों
के बारे में
जैसे
कि मासिक चक्र,
बच्चे और द्वीप
काफ़ी
नहीं थे
जैसे
कि मातम,
चुगलियाँ
और
सब्जियाँ भी
कभी
काफ़ी नहीं रहे।
वो
सोचती है कि वो सितारों को चुनौती दे सकती है
वह
लेखक दरअसल एक जासूस है
मेरी
जान,
वो लड़की मैं हूँ
वो
आदमी जो बहुत लिखता है
जानता
है इतना
सम्मोहन
और कामोत्तेजक वस्तुओं के बारे में
जैसे
कि उत्तेजना,महासभाएं
और
उत्पाद
काफ़ी
नहीं थे
जैसे
कि,मशीनें,जहाज और युद्ध
कभी
भी काफ़ी नहीं रहे ।
जो
इस्तेमाल किये गए फर्नीचर से एक पेड़ बनाता है
वो
लेखक दरअसल एक बदमाश है
मेरी
जान,
वो आदमी तुम हो।
कभी
ख़ुद से प्यार नहीं किया
यहाँ
तक कि हमारे जूतों और टोपियों से भी
नफऱत
ही रही
हम
एक दूसरे से प्यार करते रहे
कीमती,अनमोल
हमारे
हाथ हल्के नीले और कोमल हैं
हमारी
आँखें भयानक स्वीकृति से भरी है
मगर
जब हम शादी करते हैं
तो
बच्चों को नाराज़गी में छोड़ देते हैं
पेट
भरने के लिये बहुत कुछ
और
अजीब है
आग
के गोले बरसाने वाले
हम
हैं अमेरिका ।
हम
ताबूत भरने वाले हैं।
हम
मौत के सौदागर हैं।
हम
उन्हें फूलगोभीयों की तरह बक्से में पैक करते हैं।
बम
किसी जूते के डिब्बे सा खुलता है।
और
बच्चा?
बच्चा
यक़ीनन जम्हाई तो नहीं ले रहा है।
और
औरत?
वो
औरत आँसूओंसे अपने दिल को नहला रही है
जो फट कर उसके बाहर आ चुका है
और
आख़िरी काम के तौर पर
वह
इसे नदी में बहा रही है।
यह
मौत का बाज़ार है।
अमेरिका,
आपकी
साख कहाँ हैं?
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जींद(हरियाणा) में जन्मीं अनुराधा इधर विश्व कविताओं से लगातार अनुवाद कर रही हैं.
उनसे anuradha.annanya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.
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