नवीन सागर - हमारी कृतघ्नतायें खत्म क्यूं नहीं होतीं!
जन्म 1948 - मृत्यु-2000 |
नवीन सागर का नाम अक्सर कवियों की सूची में शामिल नहीं किया जाता. दशकों के खेल से भी बाहर ही देखा है उन्हें.
१- देना !
जिसने मेरा घर जलाया
उसे इतना बड़ा घर
देना कि बाहर निकलने को चले
पर निकल न पाये .
जिसने मुझे मारा
उसे सब देना
मृत्यु न देना .
जिसने मेरी रोटी छीनी
उसे रोटियों के समुद्र में फेंकना
और तूफान उठाना .
जिनसे मैं नहीं मिला
उनसे मिलवाना
मुझे इतनी दूर छोड़ आना
कि बराबर संसार में आता रहूं .
अगली बार
इतना प्रेम देना
कि कह सकूं : प्रेम करता हूं
और वह मेरे सामने हो .
२- संदिग्ध
मैं तो नागरिक
तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर
पर मैं तो नागरिक
मरने से डरता हूँ एक दिन
नींद के पाताल में चलता
बच-बच के घर की तरफ़
गुण्डों को नमस्कार करता।
आता है वह अक्सर कहने को
मरने से डरता हूँ एक दिन
तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर।
वह दोस्त मेरा
कहता है डर अकेले का घर है
चलो बहुत लोगों में
सब कुछ हो जाएगा
आने को हैं अपने बच्चे इस दुनिया में
समतल मैदान करो खेलेंगे।
पर मैं तो नागरिक
दोस्त को नुक्कड़ तक छोड़ता
लौटता
गुण्डों को नमस्कार करता।
४-अच्छी सरकार
यह बहुत अच्छी सरकार है
इसके एक हाथ में सितार दूसरे में हथियार है
सितार बजाने और हथियार चलाने में
तजुर्बेकार है
.
इसका निशाना अचूक है
कानून की एड़ियों वाले जूते पहनकर
सड़क पर निशाना साधे खड़ी है
उसी सड़क से होकर मुझे
एक हत्या की गवाही के लिए जाना है .
मुझसे पहले
दरवाज़ा खोलकर मेरा इरादा
बाहर निकला
तुरंत गोली से मर कर गिरा .
मैने दरवाज़े से झांककर कहा
मुझे नहीं पता यह किसका इरादा रहा
इस तरह
मैं एक अच्छा नागरिक बना
फिर मैने झूम-झूम कर सितार सुना .
५- इस घर में
इस घर में घर से ज़्यादा धुआं
अन्धेरे से ज़्यादा अन्धेरा
दीवार से बड़ी दरार.
इस घर में मर्तबा बहुत
जिसमें से सांस लेने की आवाज़ लगातार
आलों में लुप्त ज़िन्दगियों का भान
चीज़ों में थकान.
इस घर में सब बेघर
इस घर में भटके हुए मेले
मकड़ी के जालो से लिपटे हुए
इस घर में
झुलसे हुए रंगों के धब्बे
सपनों की गर्द पर बच्चों की उंगलियों के निशान .
(नवीन सागर की मुख्य कृतियाँ हैं - नींद से लम्बी रात (कविता संग्रह), आसमान भी दंग ( बाल-कविताएँ); उसका स्कूल (कहानी-संग्रह). एक कविता संकलन
टिप्पणियाँ
नीरज
नवीन सागर अपने आप में हमेशा ही एक अलग कवि की तरह दिखते रहे हैं।