चेष्टा सक्सेना के छंद
चेष्टा छंद में लिखती हैं. खरा और तीख़ा. कवि कहलाये जाने की आकांक्षा उनके यहाँ नहीं है और न ही पोलिटिकली करेक्ट होने की. रोज़ ब रोज़ के निजी और सामाजिक जीवन की विसंगतियों को वह ज़रूरी तंज़ के साथ कहती चली जाती हैं और यही उनकी ताक़त है. हिंदी के अलावा बुन्देली में भी वह लिखती हैं और उम्मीद है आप जल्द ही वह भी पढेंगे.
(एक)
सरकार हमारी है करारी
धन्ना सेठों की हितकारी
इनकी बात से इतर जो बोले
पाकिस्तान की हो तैयारी
गाज गिराते हैं ये उसी पर
जिसमें भी पायें खुद्दारी
तिनका भी ये मुफत न देते
बहुत ही पहुँचे हैं व्यापारी
हम गर कुछ पूछें इनसे तो
कहते क्या औकात तुम्हारी
साधू,बाबा और सन्यासी
जाप करें ये सब सरकारी
हाँ में हाँ तुम जाओ मिलाते
चाहो गर बनना अधिकारी
(दो)
जिंदा हैं पर मरे-मरे से
सच से वो कुछ डरे-डरे से।
रहमत उनको मिलती है जो
दर पर दिनभर गिरे-पड़े से।
नियम रईसों पर हैं ढीले
मजलूमों पर बड़े कड़े से।
कैसे समझें दर्द हमारा
जो सोने में जड़े-मढे से।
इस सत्ता में स्वागत उनका
चिकने हों जो बड़े घड़े से।
(तीन)
तुमने किया क्यूँ ऐसा राम
सीता क्यों भेजी वनधाम
जंगल-जंगल साथ घुमाया
छोड़ दिया जब निकला काम
तुम्हें पता था चलन बनेगा
औरत को करना बदनाम
तुम्हारे बचपन में पग-पग पर
रची-बसी थी ख़ुशी तमाम
कितनी सहमी कर दी तुमने
लव-कुश के जीवन की शाम
मात-पिता में एक मिलेगा
इतने मंहगे प्यार के दाम
आखिर में धरती में समाई
त्याग का है क्या ये परिणाम
इक जीवन में कितनी परीक्षा
लेकर मिला तुम्हें आराम
लीला-वीला कुछ ना जाने
भोली-भाली जनता आम
आज भी दर-दर भटके सीता
लेकर रोये तुम्हारा नाम
(चार)
जान देकर भी जो हाथ खाली रहे
अपने हक के बेचारे सवाली रहे।
बेकसूरों ने झेली सजा बेवज़ह
जिनके रुतबे थे आली वो आली रहे।
जो हैं काजल के शौक़ीन डरते नहीं
ढूंढ लेंगे कहीं रात काली रहे।
इन गुलाबी रुखों पे जो है आजकल
देखें कब तक बची इनकी लाली रहे।
आप चाहते हैं और हाथ उठें नहीं
सिर्फ दो हाथों से बजती ताली रहे।
बात सत्यम शिवम् सुंदरम बोलिये
देखें कैसे असर से वो खाली रहे।
साफ़ नियत के ही सच हुए "चेष्टा"
ख्वाब ज़हनों में कितने ख्याली रहे।
(पाँच)
भूख गरीबी ज़िल्लत कोड़े
तन से ज्यादा मन को तोड़े।
थाली में भर-भर दुःख परसा
सुख चटनी के जैसे थोड़े।
रहमत में जो मिले वो दाने
शहजादों ने चखकर छोड़े।
ख्वाहिश जब भी पंख पसारे
मंहगाई के खाए हथौड़े।
रंज-ओ-अलम कितना सह पाते
बहने लगे अब घाव निगोड़े।
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Best Regards, SwS.